सपने सिर्फ वो नहीं होते जो हम नींद में देखते हैं, असली सपने वो होते हैं जो हमें नींद नहीं आने देते। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है अरुण आइसक्रीम (Arun Ice Cream) के संस्थापक की, जिन्होंने ₹65 की मामूली सैलरी से शुरुआत की, अपना घर बेच दिया और आज एक ऐसी डेयरी कंपनी के मालिक हैं जिसकी वैल्यू ₹22,000 करोड़ से भी ज्यादा है।
₹65 की नौकरी से सफर की शुरुआत
तमिलनाडु के एक साधारण परिवार में जन्मे इस उद्यमी ने करियर की शुरुआत एक लकड़ी के डिपो में ₹65 की सैलरी पर काम करके की। उस वक्त न बड़े सपने थे, न ही कोई बड़ा प्लान — सिर्फ मेहनत और कुछ कर दिखाने का जज़्बा था।
अपना घर बेचकर शुरू किया आइसक्रीम बिज़नेस
कुछ सालों के संघर्ष के बाद उन्होंने एक बड़ा रिस्क लिया – अपना खुद का घर बेच दिया और उस पैसे से डेयरी और आइसक्रीम मैन्युफैक्चरिंग का काम शुरू किया। यही थी Arun Ice Cream की नींव।
आज जिस चीज़ को हम गर्मी में ठंडक पाने के लिए खाते हैं, उसके पीछे इतनी मेहनत और त्याग की कहानी शायद ही कोई जानता हो।
अरुण आइसक्रीम का सफर
- Arun Ice Cream की शुरुआत 1970 के दशक में हुई।
- शुरुआत में छोटे स्तर पर बनी आइसक्रीम को साइकिल से बेचा जाता था।
- धीरे-धीरे, लोगों को स्वाद और क्वालिटी पसंद आने लगी और ब्रांड का नाम फैलने लगा।
आज ₹22,000 करोड़ की कंपनी कैसे बनी?
Arun Ice Cream सिर्फ एक ब्रांड नहीं, बल्कि Hatsun Agro Product Ltd. का हिस्सा है, जो आज भारत की सबसे बड़ी निजी डेयरी कंपनी में से एक है। इस ब्रांड के तहत मिल्क, बटर, घी और कई डेयरी उत्पाद भी आते हैं।
इनके प्रोडक्ट्स अब सिर्फ तमिलनाडु तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे भारत और विदेशों तक भी पहुंच चुके हैं।
कड़ी मेहनत, ईमानदारी और कड़े फैसले
इस सफलता के पीछे छिपी है वर्षों की मेहनत, हर एक ग्राहक से जुड़ने की ईमानदारी, और रिस्क लेने की हिम्मत।
जिस इंसान ने कभी ₹65 महीने में काम किया हो, और जो अपने सपने के लिए अपना घर तक बेच देता है, उसकी कहानी लाखों लोगों को प्रेरित कर सकती है।
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