कहते हैं मुंबई सपनों का शहर है, लेकिन हर सपना पूरा हो ये ज़रूरी नहीं। दो युवा क्रिएटिव लोग सिर्फ़ 14 दिन का खर्च लेकर मुंबई आए, उम्मीद थी कि कुछ बड़ा होगा। 13वें दिन, जब उम्मीद लगभग टूट चुकी थी, उन्हें एक कॉल आया – एक नए प्रोजेक्ट ‘सैयारा’ के टाइटल ट्रैक पर काम करने का मौका।
मुंबई की शुरुआत: 14 दिन की लड़ाई
- पैसे सिर्फ़ 14 दिन के होटल और खाने के लिए थे।
- कोई बड़ा कॉन्टैक्ट नहीं, बस आत्मविश्वास और हुनर था।
- हर दिन ऑडिशन, ईमेल, कॉल्स – और हर बार ‘हम आपको बताएंगे’ सुनना।
12 दिन कैसे बीते
- कभी लोकल ट्रेन में धक्के, कभी ओढ़नी के नीचे लैपटॉप और माइक सेटअप।
- ज़रूरतों को किनारे रखकर बस एक ही सपना – एक मौका चाहिए।
13वें दिन की चमत्कारी कॉल
- कॉल आया एक इंडी प्रोड्यूसर से – “हमें आपके जैसे किसी की ज़रूरत है, जो ‘सैयारा’ फिल्म का टाइटल ट्रैक बना सके।”
- फिल्म में लीड रोल में थे Ahaan Panday और Aneet Padda।
- ये वही मौका था, जिसका वो 13 दिन से इंतज़ार कर रहे थे।
'सैयारा' टाइटल ट्रैक कैसे बना
- 48 घंटे बिना सोए, बिना आराम के काम।
- दर्द, मोहब्बत, और संघर्ष की भावनाएं इस ट्रैक में घोल दी गईं।
- इंडी पॉप और बॉलीवुड मेलोडी का जबरदस्त मिक्स।
‘सैयारा’ क्यों बना खास
- Ahaan और Aneet की फ्रेश केमिस्ट्री ने ट्रैक को दमदार बनाया।
- गाना सीधे दिल से निकला और सीधे दिल में उतर गया।
- रिलीज़ के कुछ घंटों में ही सोशल मीडिया पर वायरल।
एक गाना – नई शुरुआत
- इस एक प्रोजेक्ट ने उनकी प्रोफाइल को बदल दिया।
- दूसरे प्रोड्यूसर्स ने भी अब नोटिस लेना शुरू किया।
- सबूत मिल गया कि एक मौका ही काफ़ी होता है ज़िंदगी बदलने के लिए।
सीख क्या मिलती है?
- हार मत मानो – आखिरी दिन तक भी उम्मीद बची होनी चाहिए।
- तैयार रहो – मौका कब मिलेगा कोई नहीं जानता, लेकिन तैयारी ज़रूरी है।
- एक मौका सब कुछ बदल सकता है – खासकर बॉलीवुड जैसे शहर में।
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